Thursday, March 10, 2016

शीर्षक- युवा जतन,वतन के लिए


वतन के लिये प्यार , मन से होना चाहिए |
मरे चाहे जिए जज्बा , हरदम होना चाहिए ||

बिखरो चारो ओर , देशकी रखवाली करनी है |
जन धन मान की सुरक्षा, निश्चित होना चाहिए ||

कब आये शत्रु सचेत रहना , अपने मिटटी के लिए |
मिटे चाहे हम दिल लगाना तो , वतन से चाहिए ||

लुटा दिया अपने आपको , शहिदों ने , माँ के लिए |
चलनेको उस राह पर , जतन भाव से चाहिए ||

देश बदला समय बदला , या बदल गए हम ?
पूछना तो उस सोनेकी , चिड़िया से चाहिए ||

बेखबर हम,जस्न बरबादीका, हर गली में चलरहा |
संकल्प सुरक्षा देव संस्कृति, प्राणपन से चाहिए ||

ले मसाल बिचार क्रान्ति की,फुकें बिगुल युगक्रांति की |
युवाओं जागो,दिल खोलना देश केलिए,मगन से चाहिए ||

लेखक :- कमल पौड्याल

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