वतन के लिये प्यार , मन से होना चाहिए |
मरे चाहे जिए जज्बा , हरदम होना चाहिए ||
बिखरो चारो ओर , देशकी रखवाली करनी है |
जन धन मान की सुरक्षा, निश्चित होना चाहिए ||
कब आये शत्रु सचेत रहना , अपने मिटटी के लिए |
मिटे चाहे हम दिल लगाना तो , वतन से चाहिए ||
लुटा दिया अपने आपको , शहिदों ने , माँ के लिए |
चलनेको उस राह पर , जतन भाव से चाहिए ||
देश बदला समय बदला , या बदल गए हम ?
पूछना तो उस सोनेकी , चिड़िया से चाहिए ||
बेखबर हम,जस्न बरबादीका, हर गली में
चलरहा |
संकल्प सुरक्षा देव संस्कृति,
प्राणपन से चाहिए ||
ले मसाल बिचार क्रान्ति की,फुकें
बिगुल युगक्रांति की |
युवाओं जागो,दिल खोलना देश केलिए,मगन
से चाहिए ||
लेखक :- कमल पौड्याल
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