बिगड़ो नही जल्दी बनो
दोस्त ||
आतें हैं यहाँ काटें
रास्तों में |
अन्धकार तमसे मुड़ो
दोस्त ||
बिखरो भटको मत कभी |
रहो सचेतन भाब गुनों
दोस्त ||
आज तुम काँटाे मे
दौड रहे हो |
असली विवेकको चुनो
दोस्त ||
बनना बिगड़ना
तुम्हारा खेल है |
मनको हृदय मे जल्दि
बुनो दोस्त ||
जागो तमसे उठो
पह्चानो |
देखो अपने आपको उठो
दोस्त ||
योगी बालक
देव संस्कृति विश्वविद्यालय
हरिद्वार
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